प्रदर्शन की कसौटी पर कुंबले, कर्स्टन से पीछे हैं कोच शास्त्री
नई दिल्लीटीम इंडिया के मौजूदा हेड कोच फिर से इस पद के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं, लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो उन्हें खासकर टेस्ट क्रिकेट में वैसी सफलता नहीं मिली जैसी उनके पूर्ववर्ती और ने हासिल की थी। भारतीय टीम के हेड कोच और बाकी सहयोगी स्टाफ के लिए आवेदन की अंतिम तारीख मंगलवार को खत्म हो गई जिसमें शास्त्री के अलावा टॉम मूडी, रॉबिन सिंह, महेला जयवर्धने, लालचंद राजपूत, न्यू जीलैंड के पूर्व कोच माइक हेसन आदि दावेदार हैं। दो वर्ल्ड कप में नाकाम रहे रवि शास्त्री का कार्यकाल वर्ल्ड कप के बाद 45 दिन के लिए बढ़ाया गया है। यह कोच के रूप में भारतीय टीम के साथ उनकी दूसरी पारी थी। इससे पहले वह टीम डायरेक्टर भी रहे थे। उनके इन दोनों कार्यकाल में भारत वर्ल्ड कप में खेला था, लेकिन 2015 और अब 2019 में उसे नाकामी हाथ लगी थी। टेस्ट मैचों में शास्त्री से बेहतर रेकॉर्ड कुंबले का रहा है जिन्हें कप्तान कोहली के साथ मनमुटाव के कारण एक साल में अपना पद छोड़ना पड़ा था। इसे भी पढ़ें- 1990 से शुरू हुई कोच की परंपरा भारतीय टीम के लिए कोच की परंपरा 1990 में शुरू हुई थी और तब से लेकर अब तक भारत ने 15 कोच देखे हैं। टीम इंडिया के पहले विदेशी कोच जॉन राइट थे, जबकि उनसे पहले बिशन सिंह बेदी, अब्बास अली बेग, अजित वाडेकर, संदीप पाटिल, मदन लाल, अंशुमान गायकवाड और कपिल देव ने यह भूमिका निभाई थी। कपिल देव के बाद जॉन राइट, ग्रेग चैपल, गैरी कस्टर्न, डंकन फ्लेचर, रवि शास्त्री और अनिल कुंबले कोच बने।
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