Helth & tips, &; Technology tips: घोड़ों के लिए जर्मनी में ही रह गए घुड़सवार फवाद मिर्जा

Thursday, April 2, 2020

घोड़ों के लिए जर्मनी में ही रह गए घुड़सवार फवाद मिर्जा

रूपेश सिंह, नई दिल्लीजब पूरी दुनिया में बसे भारतीय और ऐथलीट कोरोना वायरस के डर से स्वदेश लौट रहे थे, तब एशियन गेम्स के मेडलिस्ट घुड़सवार ने जर्मनी में ठहरने का फैसला लिया। ओलिंपिक्स के लिए क्वॉलिफाइ कर चुके 28 साल के फवाद पिछले कुछ दिनों से जर्मनी के एक सीमवर्ती शहर बैर्गेडॉफ में हैं। फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया, ‘मैं भारत नहीं लौट सकता था। मैं अकैला नहीं हूं। मेरे साथ पांच घोड़े भी हैं, जिनके साथ मैं ट्रेनिंग करता हूं। मैं इन्हें नहीं छोड़ सकता। अगर मैं नहीं रहूंगा तो इनकी देखभाल कौन करेगा। हमें अपने घोड़ों की देखभाल करनी पड़ती है। उन्हें हमारी जरूरत है।’ पढ़ें, फवाद ने बताया कि वह जहां हैं वह इलाका शहर से दूर है और वहां की जनसंख्या भी ज्यादा नहीं है। हालांकि जर्मनी के शहरों में हालात अच्छे नहीं हैं, लेकिन फिर भी ज्यादा पैनिक नहीं है। लोग वहां नियमों का पालन कर रहे हैं। फवाद ने कहा, 'मैं भी सारे नियमों का पूरा पालन कर रहा हूं। फिलहाल मैं और मेरे घोड़े यहां आराम से हैं।' तोक्यो ओलिंपिक्स टलने से 'सेनोर' को फायदाएशियन गेम्स में भारत को 36 साल बाद घुड़सवारी में व्यक्तिगत मेडल दिलाने और फिर 20 साल बाद देश को ओलिंपिक्पिस का कोटा दिलाने का कारनामा करने वाले फवाद ओलिंपिक्स टलने के फैसले से खुश हैं। उनका मानना है कि वह तोक्यो ओलिंपिक्स के लिए क्वॉलिफाई तो कर चुके थे, लेकिन वह खेलों के इस महाकुंभ के लिए अभी पूरी तरह से तैयार नहीं थे। उन्होंने बताया, ‘ओलिंपिक्स का आगे टलना मेरे फेवर में रहा है। सेनोर मेडिकोट (घोड़े का नाम), जिसके साथ मैंने एशियन गेम्स में मेडल जीता था वह चोटिल था और कुछ दिनों पहले ही ठीक हुआ है। उसके साथ मैंने ट्रेनिंग शुरू तो कर दी है, लेकिन वह अभी फॉर्म में नहीं है। अब जब वक्त बढ़ गया है तो इसका फायदा हम उठाएंगे। मेडिकोट फिलहाल मेरा बेस्ट पार्टनर है और मैं चाहूंगा कि वह अपनी फॉर्म हासिल कर ले और हमारी पार्टनरशिप फिर से जम जाए।’ मिर्जा ने सेनोर नाम के घोड़े के साथ फाइनल में 26.40 सेकंड में अपनी स्पर्धा को पूरा कर दूसरा स्थान प्राप्त किया और सिल्वर मेडल पर कब्जा जमाया था। इंजरी से बचने पर ध्यानअर्जुन अवॉर्डी घुड़सवार ने बताया कि फिलहाल वह ज्यादा कड़ी ट्रेनिंग नहीं करके इंजरी के खतरे से खुद को और अपने घोड़ों को बचा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘फिलहाल तो सारे इवेंट्स बंद हैं। कोई गोल सेट नहीं है इसलिए अभी ज्यादा कड़ी प्रैक्टिस भी नहीं कर रहे हैं। रोज शेड्यूल फॉलो किया जा रहा है, लेकिन चोट से बचने का ख्याल ज्यादा है।' उन्होंने कहा, 'इन हालात में खुद को और घोड़ों को खतरे में डालने का कोई मतलब नहीं बनता। जब नया कैलेंडर निकलेगा तब हम तय करेंगे कि हमें किसमें भाग लेना है और फिर हम प्लान के अकॉर्डिंग ट्रेनिंग करेंगे। इस कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर की इकॉनोमी गड़बड़ा रही है, लेकिन इन मुश्किल हालात में भी मेरे स्पॉन्सर्स ने मेरा साथ नहीं छोड़ा है।’ घोड़ों के लिए जर्मनी में ही रह गए फ‌वाद नए शेड्यूल से मिलेगा और वक्तफवाद ने कहा, 'ओलिंपिक्स के एक साल बढ़ने की वजह से बहुत कुछ बदलेगा। साल का पूरा कार्यक्रम बदलेगा। नया शेड्यूल तैयार होगा। अभी हम ओलिंपिक्स में जाने के लिए अपने आप को तैयार कर रहे थे, लेकिन अब हम अन्य टूर्नामेंटों के लिए तैयारी करेंगे। अप्रैल लास्ट में नया शेड्यूल आएगा। अच्छी बात यह है कि मैं अपने घोड़ों को अपना वक्त दे पा रहा हूं। एक और एडवांटेज मेरे लिए यह है कि मेरे पास एक नया यंग घोड़ा है। उसके साथ पार्टनरशिप बनाने का मुझे अब और वक्त मिल गया है।’


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