Helth & tips, &; Technology tips: विराट, जडेजा की फिटनेस ने बदला माहौल: पारस महाम्ब्रे

Saturday, April 25, 2020

विराट, जडेजा की फिटनेस ने बदला माहौल: पारस महाम्ब्रे

नई दिल्ली भारतीय क्रिकेट टीम में जब से विराट कोहली, रोहित शर्मा, रविंद्र जडेजा जैसे खिलाड़ियों ने जब से अपनी जड़े जमाई हैं, तब से इन खिलाड़ियों के खेल के साथ-साथ इनकी फिटनेस पर भी खूब चर्चा होती है। अब भारतीय खिलाड़ी चाहे फील्डिंग कर रहे हों या बैटिंग या फिर बोलिंग। सभी के सभी खिलाड़ी नामुमकिन को मुमकिन करते दिखते हैं। विराट, जडेजा ऐंड कंपनी बॉल पर ऐसे झपटती है, जो पूरी टीम में जोश भर देती है। इसका असर देश की घरेलू क्रिकेट पर भी हो रहा है। भारत A और अंडर- 19 टीम के मुख्य कोच पारस महाम्ब्रे कहते हैं कि टीम इंडिया के मौजूदा टोली ने पूरे देश के क्रिकेटरों को फिटनेस के प्रति जागरूक बना दिया है, जिसका असर अब घरेलू क्रिकेट पर भी दिख रहा है। हमारे सहयोगी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' में पारस महाम्ब्रे का इंटरव्यू प्रकाशित हुआ है। इस इंटरव्यू में उन्होंने अंडर- 19 और भारत A के स्तर पर खिलाड़ी की फिटनेस और उनके खेल पर विस्तार से बताया है। अब युवा खिलाड़ी भी जानते हैं फिटनेस की अहमियत महाम्ब्रे कहते हैं, 'अब भारतीय क्रिकेट में खिलाड़ियों की फिटनेस अनिवार्य अंग है। युवा खिलाड़ी पहले से ही जानते हैं कि विराट कोहली, रोहित शर्मा और रविंद्र जडेजा अपनी फिटनेस के लिए कितनी मेहनत करते हैं और वे कितनी हार्ड ड्रिल्स करते हैं। भारतीय टीम में जो फिटनेस कल्चर की शुरुआत हुई थी उसका असर अब जूनियर और घरेलू स्तर की क्रिकेट पर भी दिखने लगा है।' उन्होंने कहा, 'युवा खिलाड़ी जानते हैं कि अगर वह अपनी फिटनेस को सही कर लेंगे तो उनके खेल में निखार अपने आप ही आ जाएगा। इन दिनों हमारे पास जो भी युवा खिलाड़ी आते हैं वे पहले से ही शारीरिक तौर पर काफी मजबूत होते हैं।' घरेलू क्रिकेट में भी ऐसे कई गेंदबाज, जो 140 km/h से करते हैं बोलिंग भारत A और अंडर- 19 टीम के मुख्य कोच महाम्ब्रे ने बताया, 'मौजूदा समय में ऐसे कई तेज गेंदबाज हैं, जो 140 किमी./घंटे की रफ्तार से बोलिंग करते हैं। यह सब फिटनेस में सुधार और पर्याप्त संसाधनों की उपलब्धता के चलते संभव हुआ है। आप फिजियो और ट्रेनर्स को मैदान पर नहीं देखते लेकिन तस्वीर के पीछे बहुत ज्यादा काम किया जाता है। खेल के ऑफ सीजन में खिलाड़ियों की फिटनेस पर नजर रखी जाती है।' किशोर उम्र के खिलाड़ियों पर ध्यान देना जरूरी महाम्ब्रे कहते हैं, 'किशोर उम्र के इन खिलाड़ियों पर एक-दो साल तक नजर रखना जरूरी होता है। जब एक बार वे 23-24 के हो जाते हैं, तो वे खुद ही जागरूक हो जाते हैं कि उन्हें क्या करना है। वे खुद भी इन सबसे प्रेरित होते हैं, जो टॉप लेवल पर वे देख रहे हैं। वर्तमान में इशांत, बुमराह, शमी, उमेश, भुवी... (भुवनेश्वर) सभी 140-प्लस की रफ्तार से बोलिंग करते हैं।'


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