Helth & tips, &; Technology tips: टीचर्स डे: जिन पर देश को नाज, ये हैं उनके द्रोण

Wednesday, September 4, 2019

टीचर्स डे: जिन पर देश को नाज, ये हैं उनके द्रोण

नई दिल्ली जीवन में मां-बाप के बाद अगर सबसे प्यारा कोई रिश्ता है तो वह गुरु और शिष्य का होता है। गुरु की हमेशा इच्छा होती है कि उनका शिष्य बहुत बड़ा मुकाम हासिल करे। आज (5 सितंबर) शिक्षक दिवस के मौके पर खेल-जगत के कुछ ऐसे ही गुरुओं (कोच) से बात की गई, जिनको अपने शिष्य (खिलाड़ियों) के शानदार प्रदर्शन के आधार पर पिछले महीने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने से सम्मानित किया था। विमल कुमार: साइना नेहवाल के कोच विमल का मानना है कि अच्छे कोच की निशानी होती है कि वह अपने शिष्य को आजादी दे और उसे जिम्मेदारी लेना सिखाए। चाहे उसका प्रदर्शन अच्छा हो या बुरा, वह हर परिस्थिति में खिलाड़ी को एहसास कराए कि जो भी करना है आपको करना है, मैं आपके पीछे हूं। उन्होंने कहा, 'मेरी सबसे अच्छी शिष्यों में रही साइना में यही सब खासियतें हैं। वह जो भी करती थी, उसमें पूरी तरह डूब जाती। आजकल खिलाड़ियों के पास हर तरह की सुविधाएं हैं। साइना ने जब शुरुआत की थी, तब इतनी सुविधाएं नहीं थीं। आज अगर सुविधाएं हैं भी तो वह उनके (साइना) लिए इतना मायने नहीं रखता।' पढ़ें, रामबीर खोखर: कबड्डी कोच कबड्डी में आज दुनिया में भारत का बोलबाला है जिसमें रामबीर खोखर का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने देश को अब तक 100 से ज्यादा इंटरनैशनल खिलाड़ी दिए हैं। खोखर बताते हैं, 'गुरु की नजर पारखी होती है। वह शिष्य को देखकर समझ जाते हैं कि वह कितना आगे तक जा सकता है।' सुरेंद्र नड्डा का उदाहरण देते हुए रामबीर बताते हैं कि सोनीपत सेंटर में एक बार वह रेसलिंग देखने चले गए। वहां उन्होंने नड्डा को लड़ते देखा तो लगा कि यह कबड्डी में अच्छा कर सकता है। उनकी स्पीड और मूवमेंट गजब का था, तब वह पांचवीं कक्षा में पढ़ता था। उसे लेकर कबड्डी में आ गए। आज नड्डा भारतीय कबड्डी में एक अच्छा नाम हैं। खोखर कहते हैं कि इससे भी ज्यादा खुशी तब होती है जब शिष्य गुरु से आगे निकल जाता है। संदीप गुप्ता: मणिका बत्रा के कोच संदीव गुप्ता ने टेबल टेनिस में नेहा वर्मा और मणिका बत्रा जैसे दो स्टार खिलाड़ी दिए हैं। मणिका अभी टेबल टेनिस में देश के लिए सबसे बड़ी उम्मीद हैं। संदीप बताते हैं, 'मणिका मेरे पास चार साल की उम्र से हैं। उनके जैसा ख्याल रखने वाली लड़की मिलना मुश्किल है। मुझे याद है हम जूनियर वर्ल्ड कप के लिए जा रहे थे, उसी दौरान उनके पेपर भी होने वाले थे। वह एयरपोर्ट पर भी पढ़ती रहती थीं। उन्हें फ्लाइट में भी पढ़ना था तो एयरपोर्ट पर मेरे लिए आई कैप खरीद लिया। हम जब फ्लाइट में जा रहे थे, तब भी वह पढ़ रही थी। मुझे लाइट से परेशानी होती तो उसने तुरंत मुझे आई कैप पहना दिया।' पढ़ें, : गौतम गंभीर के कोच संजय भारद्वाज ने ऐसे तो भारतीय क्रिकेट को कई चमकते सितारे दिए हैं लेकिन, सबसे ज्यादा उन्हें गौतम गंभीर के कोच के तौर पर जाना जाता है। संजय बताते हैं, 'गंभीर भले ही आज सांसद बन गए लेकिन उनको लगता है कि मैं यहां भी उनकी मदद कर सकता हूं। वह मुझसे पूछते हैं कि मैं समाज के लिए क्या अच्छा काम कर सकता हूं। समाज से मैं किस तरह बुराइयों को दूर कर सकता हूं। जो लगन मैं उनमें क्रिकेट के मैदान में देखता था वही राजनीति में भी देखता हूं।' संजय ने कहा, 'मैं गंभीर जैसा जज्बा अब बाकी बच्चों में ढूंढता रहता हूं ताकि मैं देश को दूसरा गौतम गंभीर दे सकूं। वह इतने अनुशासित थे कि उनके साथ कभी सख्ती से बात करने का मौका ही नहीं मिला। ऐसे छात्र पर किस गुरु को नहीं नाज होगा।'


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