Helth & tips, &; Technology tips: IPL में चीनी कंपनी के अरबों रुपये, बोर्ड ने बुलाई बैठक

Saturday, June 20, 2020

IPL में चीनी कंपनी के अरबों रुपये, बोर्ड ने बुलाई बैठक

नई दिल्लीपूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पिछले दिनों भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद देश में चीन के खिलाफ माहौल बन रहा है। ऐसे में दुनिया की सबसे बड़ी टी20 लीग में चीन की कंपनी के लगे अरबों रुपये पर भी सवाल उठने लगे हैं। भारतीय बोर्ड ने पिछले दिनों कहा था कि वह अपने मुख्य प्रायोजक से तब तक नाता नहीं तोड़ेगा, जब तक सरकार की ओर कोई निर्देश नहीं मिलता। बोर्ड की ओर से यह भी कहा था कि चीन से आए पैसों से देश की अर्थव्यवस्था को फायदा ही पहुंचा है लेकिन,लगता है कि बोर्ड अब अपना नजरिया बदल रहा है। पढ़ें, दबाव में बदला स्टैंडशुरुआत में चीनी कंपनियों के प्रायोजन का बचाव कर रहे बोर्ड ने अब अपना स्टैंड बदल लिया है। चौतरफा दबाव के बाद आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल ने चीनी प्रायोजकों के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर चर्चा के लिए अगले सप्ताह बैठक बुलाई है। भारतीय बोर्ड ने मुख्य प्रायोजक वीवो, ड्रीम इलेवन जैसी चीनी कंपनियों के साथ हुए करार पर दोबारा विचार करने का फैसला किया है। संकेत हैं कि बोर्ड के अंदर भी कुछ अधिकारी मौजूदा हालात में चीनी प्रायोजन के खिलाफ हैं। 2022 तक है करार, 25 अरब की थी डीलचीन की मोबाइल कंपनी वीवो ने आईपीएल के मुख्य प्रायोजक के तौर पर 2018 से 2022 तक के लिए करार किया था। इसके लिए उसने 330 मिलियन डॉलर यानी तकरीबन 25 अरब 16 करोड़ रुपये की डील की थी। आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने शुक्रवार को एक ट्वीट में कहा था कि बॉर्डर पर हुई झड़प और हमारे बहादुर सैनिकों की शहादत के बाद हमने आईपीएल की स्पॉन्शरशिप डील पर चर्चा के लिए अगले सप्ताह एक बैठक बुलाई है। कुछ खिलाड़ियों ने मौजूदा हालात में चीन के उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील की है। इसमें ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह भी शामिल हैं। सीटीआई ने लिखा पत्र नई दिल्ली: व्यापारिक संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने बीसीसीआई अध्यक्ष सौरभ गांगुली को पत्र लिखकर चीनी कंपनियों से करार रद्द करने की मांग की है। सीटीआई का कहना है कि पूरे देश में चीनी उत्पादों के बहिष्कार को लेकर मुहिम चल रही है और इसी कड़ी में व्यापारिक संगठन भी मांग कर रहे हैं कि बीसीसीआई को भी जनता की भावनाओं का ध्यान रखते हुए चीनी कंपनियों से करार रद्द करना चाहिए।


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